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एस.आर. शंकरन चेयर (ग्रामीण श्रम)

केन्‍द्र का अधिदेश :

प्रसिद्ध सिविल सेवक श्री एस.आर. शंकरन के सम्मान में ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी) द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडीपीआर), हैदराबाद में श्री एस.आर. शंकरन चेयर (ग्रामीण श्रम) की स्‍थापना की गई।

उद्देश्य

चेयर का उद्देश्य उन मुद्दों पर अनुसंधान को बढ़ावा देना है जो समझ को बढ़ाएंगे और कार्य की दुनिया तथा ग्रामीण श्रमिकों के जीवन को बेहतर बनाने में मदद करेंगे। सहयोगात्मक संस्थाओं, संगठनों, नीति निर्माताओं और अन्य हितधारकों के साथ समान उद्देश्यों के साथ सहयोगात्मक अनुसंधान, संगोष्ठी, कार्यशालाएं और नीति संवाद, और काम के कागजात के माध्यम से बड़े सार्वजनिक डोमेन में परिणाम देना, पत्रिकाओं में लेख, किताबें और नीति संक्षेप इत्‍यादि इसके गतिविधियों का हिस्सा हैं जिसे चेयर के लिए निर्धारित किया गया है।.

क्रियाकलाप

यह चेयर ग्रामीण गरीबों, सीमांत समूहों, महिला श्रमिकों, श्रमिकों की गतिशीलता और ग्रामीण गरीबों के लिए आवास की स्थिति के मुद्दों पर सहयोगी पद्धति में अनुसंधान क्रियाकलापों का आयोजन कर रहा है । यह प्रसिद्ध सामाजिक वैज्ञानिकों को आमंत्रित करके राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार और सार्वजनिक व्याख्यान आयोजित करता है, जिसमें ग्रामीण श्रम के ज्वलंत मुद्दों पर जोर दिया जाता है ।.

चेयर ग्रामीण गरीबों और अलग-अलग लोगों से संबंधित एस.आर. शंकरन के विचारों का प्रसार कर रही है जिसमें प्रख्यात विद्वानों द्वारा वितरित सार्वजनिक व्याख्यान, सम्मेलन/ संगोष्ठी की कार्यवाही, कामकाजी कागजात, नीति संक्षिप्त और पुस्तकों के माध्यम से प्रकाशित किया जाता हैं। कुछ शोध और अन्य गतिविधियाँ नीचे दी गई हैं:

अनुसंधान अध्ययन (संपूरित)

  • भारत में ग्रामीण महिलाओं की श्रमिक शक्ति में सहभागिता एवं महिलाओं के काम में कमी के बदलते परिप्रेक्ष्य, 'ग्रामीण महिला मजदूरों में घटती कार्य भागीदारी और तीन राज्यों यथा आंध्र प्रदेश, ओडिशा और अरुणाचल में गिरावट के संभावित कारणों को समझना है।
  • भारत में ग्रामीण श्रम बाजार में ठेकेदारी व्यवस्था का बदलता रूप 'मुख्य उद्देश्य तीन राज्यों –हरियाणा, आंध्र प्रदेश और ओडिशा में श्रम संबंधों की प्रकृति और ग्रामीण भारत में मजदूर परिवारों के लिए इसके निहितार्थ हेतु परिवर्तन के लिए सार्वजनिक कार्रवाई योगदान सहित कारकों को समझना ।
  • आदिवासी क्षेत्रों में बाजार का अंतः संयोजक और जनजातीय आबादी की आजीविका पर उनके निहितार्थ’, इसका उद्देश्य आदिवासी क्षेत्रों में विकास की गतिशीलता और छत्तीसगढ़ तथा झारखंड दो राज्यों में संस्थानों की भूमिका को समझना ।
  • ‘पश्चिमी ओडिशा से आंध्र प्रदेश के ईंट की भट्टियों में हस्‍तांतरण’, स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, हैदराबाद विश्वविद्यालय, हैदराबाद के सहयोग में।
  • ‘केरल के विशेष संदर्भ में भारत में ग्रामीण गरीबों के लिए आवास’, के साथ साझेदारी में लॉरी बेकर सेंटर फॉर हैबिटेट स्टडीज, तिरुवनंतपुरम ।.
  • पहाड़ी क्षेत्रों में ग्रामीण श्रमिकों का प्रवासन: उत्तराखंड का एक मामला', वी.वी. गिरी विकास अध्‍ययन संस्‍थान, लखनऊ के सहयोग में।
  • भारत और चीन में ग्रामीण-शहरी प्रवास का तुलनात्मक अध्ययन - अस्थायी परिपत्र ग्रामीण-शहरी प्रवासन के विशेष संदर्भ में, 'ग्रामीण-शहरी अध्‍ययन के लिए चाइना केन्‍द्र (सीसीयूआरडीएस), ईस्ट चाइना यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, शंघाई, चीन, और विकास विकल्‍प केन्‍द्र (सीएफडीए), अहमदाबाद, अहमदाबाद विकास विकल्‍प संस्‍थान (आईडीए), चेन्नई और हैदराबाद अर्बन लैब, हैदराबाद के साथ सहयोग में एसआरएससी द्वारा किए गए।
  • ‘तेलंगाना में एक ग्राम अध्‍ययन’, प्रमुख उद्देश्य तेलंगाना राज्य के अविभाजित मेदक जिले के एक गांव में ग्रामीण क्षेत्र के बदलते सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को समझना।

सेमिनार/ सम्मेलन

  • 18-19 जनवरी, 2018 के दौरान "भूमि बाजार और ग्रामीण गरीब" पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई। प्रोफेसर आर. राधाकृष्ण, अध्यक्ष, एस.आर. शंकरन चेयर, सलाहकार समिति, प्रोफेसर वाई.के. अलघ, गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति और प्रोफेसर टी. हक, अध्यक्ष, भूमि नीति, नीति आयोग ने क्रमशः उद्घाटन व्याख्यान, मुख्य भाषण और समापण भाषण प्रस्‍तुत किया। इस संगोष्ठी में 30 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिसमें प्रोफेसर अलख नाराइन शर्मा, डी.एन. रेड्डी, सुच्चा सिंह गिल, दीपक के. मिश्रा, जुडिथ हेयर, एम. थांकराज और जी. नान्‍चराय्या, रितु दीवान, विकास रावल, जी. ओंमकारनाथ, एस.एस. सांगवान, गीता कुट्टी, राजकिशोर मेहर और श्री सी.आर बिजोय सहित नीति निर्धारक, सिविल सोसाइटी कर्मी और शिक्षाविद ने संगोष्ठी के विचार-विमर्श में भाग लिया।
  • "ग्रामीण वित्त और ग्रामीण गरीबों के वित्तीय समावेशन के बदलते परिप्रेक्ष्य" पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 28-29 अप्रैल, 2017 के दौरान किया गया । इस संगोष्ठी में विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं और नागरिक समाज संगठन सहित 30 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। मुख्य भाषण डॉ अरविंद मायाराम, आईएएस (सेवानिवृत्त), अध्यक्ष, सीयूटीएस (उपभोक्ता एकता और ट्रस्ट सोसाइटी) विनियमन और प्रतियोगिता संस्थान और भारत सरकार के पूर्व वित्त सचिव द्वारा प्रस्‍तुत किया गया। नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक श्री जी.आर.चिंतला ने उद्घाटन भाषण प्रस्‍तुत किया। श्री.विजय महाजन, संस्थापक सीईओ बेसिक्‍स सोशियल एंटरप्राइज ग्रुप, वित्तीय समावेश पर रंगराजन समिति के सदस्य और वित्तीय क्षेत्र सुधारों पर रघुराम राजन समिति के सदस्य ने समापण भाषण प्रस्‍तुत किया।
  • ‘भारत में आदिवासियों के शासन, संसाधन और आजीविका: पीईएसए और एफआरए का कार्यान्वयन" पर राष्ट्रीय संगोष्ठी 18-19 नवंबर, 2016 को एनआईआरडीपीआर, हैदराबाद में आयोजित की गई थी। महाराष्ट्र और तमिलनाडु के माननीय राज्यपाल श्री सीएच विद्यासागर राव मुख्य अतिथि थे और एशिया तथा पेसिफिक के लिए एकीकृत ग्रामीण विकास केंद्र (सिर्डाप) के महानिदेशक श्री तेविता जी. बोसिवाका तागनिआउलाव उद्घाटन सत्र के दौरान सम्‍मानीय अतिथि थे। विशिष्ट विद्वानों, प्रमुख युवा शोधकर्ताओं, नागरिक समाज संगठनों और पूर्व प्रशासकों सहित लगभग 40 प्रतिनिधियों ने प्रपत्र प्रस्तुत किए और राष्ट्रीय संगोष्ठी में भाग लिया। प्रो. के.बी. सक्सेना ने मुख्य भाषण प्रस्‍तुत किया और प्रोफेसर सी.एच. हनुमंत राव; मानद प्राध्यापक ने समापण भाषण प्रस्‍तुत किया। इसकी अध्यक्षता प्रोफेसर अमित भादुड़ी, पाविया विश्वविद्यालय, इटली में प्रोफेसर और जेएनयू, नई दिल्ली में एमेरिट्स प्रोफेसर ने की।
  • ‘भारत में ग्रामीण श्रम बाजार की गतिशीलता' पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 10 - 12 मार्च, 2016 के दौरान एनआईआरडीपीआर, हैदराबाद में किया गया था। भारत के विभिन्न भागों से विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों और युवा विद्वानों सहित लगभग 32 प्रस्तुतियाँ प्रस्‍तुत की गई। प्रोफेसर सी.एच. हनुमंत राव ने उद्घाटन भाषण प्रस्‍तुत किया, जबकि मुख्य भाषण और समापण भाषण क्रमश: प्रोफेसर एस. महेन्‍द्र देव, आईजीआईडीआर, मुंबई तथा प्रोफेसर वाई.के. अलघ द्वारा प्रस्‍तुत किया गया।
  • ‘उभरते ग्रामीण-शहरी आबाध क्रम के संदर्भ में श्रम और रोजगार के मुद्दें’ पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 12 - 14 मार्च, 2015 के दौरान आयोजित किया गया था। भारत और विदेश के प्रख्यात विद्वानों ने भाग लिया। चीन (पूर्वी चीन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, शंघाई), नेदरलैंड, स्विट्जरलैंड और ब्रिटेन के विद्वानों ने पत्र प्रस्तुत किए। उद्घाटन भाषण प्रोफेसर एस.आर. हाशिम द्वारा प्रस्‍तुत किया गया। मुख्य भाषण प्रोफेसर जन ब्रेमन द्वारा प्रस्‍तुत किया गया था और समापण भाषण प्रोफेसर अश्विनी सैथ द्वारा प्रस्‍तुत किया गया था।
  • ‘मजदूर बाजार और भारत में आदिवासियों के मुद्दे’ पर राष्ट्रीय संगोष्ठी 22- 23 जनवरी, 2015 के दौरान एनआईआरडीपीआर, हैदराबाद में आयोजित की गई थी। उद्घाटन भाषण प्रोफेसर सी.एच. हनुमंत राव ने प्रस्‍तुत किया। मुख्य भाषण टीआईएसएस के प्रोफेसर वर्जिनियस एक्‍साएक्‍सा द्वारा और समापण भाषण आईएचडी, नई दिल्ली के प्रोफेसर देव नाथन द्वारा प्रस्‍तुत किया गया।

आमंत्रित पब्लिक व्याख्यान

  • 3 जनवरी, 2018 को आयोजित "आरबीआई – हर दिन के जीवन को विशिष्‍ट बनाना’’ पर भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर, डॉ. सुब्बाराव, आईएएस।
  • 25 अक्टूबर 2017 को आयोजित ‘विज़िबिलिंग जेंडर एंड ‘वर्क इन रूरल इंडिया’ पर प्रोफेसर रितु दीवान, अर्थशास्त्र विभाग के पूर्व निदेशक, मुंबई विश्वविद्यालय।
  • 15 सितंबर, 2017 को आयोजित "भारतीय समाज के कमजोर वर्गों की आजीविका और कामकाजी परिस्थितियों में सुधार" पर श्री बेजवाड़ा विल्सन, रेमन मैग्सेसे अवार्डी।
  • 13 फरवरी, 2017 को आयोजित "एथिक्स ओरिएंटेड इकोनॉमिक पॉलिसी" पर प्रोफेसर विश्वनाथ पंडित, पूर्व प्रोफेसर, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और पूर्व कुलपति, श्री सत्य साई इंस्टीट्यूट ऑफ हायर लर्निंग प्रशांति निलयम, अनंतपुर (जिला), आंध्र प्रदेश।
  • 16 अक्टूबर, 2015 को आयोजित ‘’ग्रामीण भारत में सर्वहारा वर्ग के पहलू" पर प्रोफेसर वी.के. रामचंद्रन, प्रोफेसर, आर्थिक विश्लेषण इकाई, भारतीय सांख्यिकीय संस्थान, बेंगलूर।
  • 16 अप्रैल, 2015 को आयोजित "निर्वासन द्वारा विकास" पर प्रोफेसर अमित भादुड़ी, एमिरिटस प्रोफेसर, सीईएसपी, जेएनयू, नई दिल्ली।
  • 21 जनवरी, 2013 को आयोजित "ग्लोबल इकोनॉमी के संदर्भ में कामकाजी वर्गों के लिए सामाजिक सुरक्षा" पर हैदराबाद के सहयोग में प्रोफेसर जन सी. ब्रिमन।
  • 5 दिसंबर 2012 को आयोजित ‘ट्रस्ट और भारतीय फार्मास्यूटिकल्स उद्योग’ पर प्रोफेसर रोगर जेफ़री।
  • 15 नवंबर, 2012 को आयोजित "अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में नवाचार" पर प्रोफेसर बारबरा हैरिस-व्हाइट।

पैनल परिचर्चा/ संगोष्ठी

  • 21 अक्टूबर, 2016 को श्री एस.आर.शंकरन के जन्मदिन के अवसर पर "भारत में समावेशी विकास और सीमांत समूह’’ संगोष्‍ठी आयोजित की गई। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता एनआईआरडीपीआर के महानिदेशक डॉ. डब्‍ल्‍यू.आर. रेड्डी ने की। पैनलिस्टों में प्रोफेसर एस.गलाब, अर्थशास्‍त्र और सामाजिक अध्‍ययन (सेसे), हैदराबाद, प्रोफेसर गोपीनाथ रेड्डी, सेस के प्रोफेसर, प्रोफेसर स्वर्णा एस. वेपा, सेस में सहायक प्रोफेसर, प्रोफेसर इंद्रकांत, आरबीआई के अध्यक्ष प्रोफेसर, सामाजिक विकास परिषद, हैदराबाद और डॉ. जी. श्रीदेवी, सहायक प्रोफेसर, स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, हैदराबाद विश्वविद्यालय शामिल थे।
  • 12 अक्टूबर, 2015 को श्रीनगर में 57 वें भारतीय श्रम सोसाईटी सम्मेलन के दौरान भारत में ग्रामीण श्रम बाजार की उभरती हुई गतिशीलता’’।
  • 18-20 दिसंबर, 2014 के दौरान आईएचडी, रांची में आयोजित 56 वें आईएसएलई सम्मेलन के दौरान भारत में ग्रामीण श्रम बाजार में रोजगार संबंधों की बदलती पद्धति’’।
  • "मैनुअल स्कैवेंजर्स और उनके पुनर्वास विधेयक के रूप में रोजगार का निषेध" 22 अक्टूबर, 2013।
  • पुस्तक विमोचन समारोह (जिसका शीर्षक है "सीमांतीकरण, विकास और प्रतिरोध: एस.आर.शंकरन को श्रद्धांजलि में निबंध’’, के.बी. सक्‍सेना और जी. हरगोपाल द्वारा संपादित- आयोजन 22 अक्टूबर, 2013 को सम्‍पन्‍न हुआ।
  • "भारत में ग्रामीण श्रम: भारतीय श्रम समिति के सहयोग में उभरते मुद्दे और परिप्रेक्ष्य का 19-12-2012 को वाराणसी में आयोजित किया गया।

प्रकाशन

  • कार्यात्‍मक प्रपत्र
    • ग्रामीण ओडिशा में रोजगार सेटबैक: एक अनुभवजन्य जांच - पार्थ प्रतिम साहू और कैलाश सराफ
    • मध्य भारत के जनजातीय क्षेत्र में संसाधन, गरीबी और सार्वजनिक कार्रवाई तक पहुंच का उन्मूलन - कैलाश सराफ
    • गरीब और सीमांतों का वित्तीय समावेशन: क्यों राज्य समर्थित बैंक-संयोजित एसएचजी एमएफआई पर एक स्पष्ट विकल्प के रूप में उभरता है? – डी.एन. रेड्डी
    • ग्रामीण गरीब और भूमि तक पहुँच: अनुसूचित जातियों के भूमि संसाधन के विकास में प्रशासनिक पहल का आंध्र प्रदेश अनुभव – डी.एन. रेड्डी
    • भारत में ग्रामीण श्रम: उभरते मुद्दे और परिप्रेक्ष्य: शोध के लिए एक एजेंडा की ओर - टी.एस. पपोला, ब्रजेश झा, ए.वी. जोस, पद्मिनी स्वामीनाथन, अजीत घोष, के.पी. कन्ना, सुचा सिंह गिल, रवि श्रीवास्तव, जुडिथ हेयर, अमिता शाह, जे. जयरंजन और डी.एन. रेड्डी।
    • श्रमिकों और महिलाओं के काम के रूप में महिलाओं के विषय पर फिर से गौर करना: कार्य स्थिति के महत्वपूर्ण मार्कर के रूप में जेंडर और स्थान - पद्मिनी स्वामीनाथन
    • ग्रामीण गैर-कृषि रोजगार - कुछ मुद्दे और तथ्य - ब्रजेश झा
    • ग्रामीण मजदूरों की मजदूरी और कमाई में बदलाव – ए.वी. जोस
  • एसआरएससी पब्लिक व्याख्यान श्रृंखला
    • एथिक्स ओरिएंटेड इकोनॉमिक पॉलिसी - प्रोफेसर विश्वनाथ पंडित - अप्रैल, 2017
    • हस्‍तक्षेप बिना विकास- प्रोफेसर अमित भादुड़ी - अप्रैल 2015
  • एसआरएससी सम्मेलन/ संगोष्ठी श्रृंखला
    • भारत में ग्रामीण श्रम: प्रक्रियाएं और नीति विकल्प - सी.एच. हनुमंत राव, एस. महेंद्र देव और वाई के अलघ - मार्च 2016
    • भारत में आदिवासी: आजीविका और श्रम बाजार के मुद्दे, सार्वजनिक कार्रवाई और बाजार समाधान - सी.एच. हनुमंत राव, वर्जिनिक्‍स एक्‍सएएक्‍सए और देव नाथन - जनवरी, 2015
  • एसआरएससी सम्मेलन/ संगोष्ठी कार्यवाही/ नीति संक्षिप्त
    • ग्रामीण वित्त के बदलते परिप्रेक्ष्य और ग्रामीण गरीबों का वित्तीय समावेशन - जुलाई 2017
    • भारत में आदिवासियों का शासन, संसाधन और आजीविका: पेसा और एफआरए का कार्यान्वयन - मार्च 2017
    • भारत में ग्रामीण श्रम संबंधों की गतिशीलता - अक्टूबर 2016
    • उभरते ग्रामीण- शहरी निरंतरता के संदर्भ में श्रम और रोजगार के मुद्दे: आयाम, प्रक्रियाएं और नीतियां - मार्च 2015
    • असंगठित मजदूरों का सामाजिक सुरक्षा अधिनियम 2008: कार्यान्वयन समस्‍याएं - एक रिपोर्ट - फरवरी, 2013
  • श्रम मुद्दों पर राष्ट्रीय परामर्श:
    • 10 नवंबर, 2013 को आयोजित “रीथिंकिंग वर्किंग क्लास: चैलेंजेस इन इंडियन पॉलिटिकल एकॉनमी” पर पैनल परिचर्चा।
    • असंगठित मजदूरों का सामाजिक सुरक्षा अधिनियम 2008: कार्यान्वयन समस्‍याएं : 25-26 फरवरी, 2013 को आयोजित एक रिपोर्ट।
  • पुस्तकें
    • 'भारत में आदिवासी: संसाधन, आजीविका और संस्थाएँ', ब्लूम्सबरी, नई दिल्ली, भारत- 2017
    • संरचनात्मक परिवर्तन और लेबर मोबिलिटी का गतिशीलता, स्प्रिंग प्रकाशक, न्‍यू यार्क – प्रकाशन के तहत

प्रकाशन :

भारत में उन्‍नत भिक्षावृत्ति : तेलंगाना राज्‍य का मामला अध्‍ययन
‘’मध्‍य प्रदेश में उन्‍नत भिक्षावृत्ति को सुधारणा’’ (नीति प्रपत्र 1/2021)
गुजरात के समावेशी और समता ग्रामीण एवं कृषि विकास के लिए संस्‍थागत दृष्टिकोण (अप्रैल 2021)
ग्रामीण भारत में महिलाओं को कार्यों से हटाना : प्रवृत्ति, कारण एवं नीति नीहितार्थ (मार्च, 2021)
"वन अधिकारों का संरक्षण और जनजातीय लोगों की आजीविका - चुनौतियाँ और भावी दिशा" (अगस्त 2020)।
‘’कोविड-19 के बीच ग्रामीण आजीविका का पुनरुद्धार और पुनर्निर्माण: नीति प्रतिक्रियाएँ, अवसर और भावी दिशा" (जुलाई 2020)।
'भूमि बाजार और ग्रामीण गरीब' पर राष्ट्रीय संगोष्ठी की कार्यवाही और नीति संक्षिप्त।
भारत में आदिवासियों का प्रशासन, संसाधन और आजीविका पीईएसए और एफआरए का कार्यान्वयन।
Changing Perspective of Rural Finance and Financial Inclusion Of Rural Poor.
ग्रामीण वित्त और ग्रामीण गरीबों के वित्तीय समावेशन के बदलते परिप्रेक्ष्य। शासन, संसाधन और आजीविका।
राज्यपाल का भाषण एनआईआरडी बीडब्‍ल्‍यू।
संगोष्ठी कार्यवाही ग्रामीण श्रम संबंधों की गतिशीलता।
एसआरएससी सम्मेलन की कार्यवाही।
एसआरएससी ग्रामीण श्रम भारत।
भारत में ग्रामीण वित्त का भविष्य।

अनुसंधान रिपोर्ट:

चक्रिय प्रवासन के निर्धारक और परिणाम, हैदराबाद में अनौपचारिक श्रम के तीन स्थलों का मामला अध्ययन।
ग्रामीण क्षेत्रों और सामाजिक रूप से वंचित वर्गों पर विशेष ध्यान के साथ भारत में आवास की स्थिति
ग्रामीण क्षेत्रों और सामाजिक रूप से वंचित वर्गों पर विशेष ध्यान देने के साथ केरल में आवास की स्थिति
पश्चिमी उड़ीसा से तेलंगाना के लिए प्रवास का सर्वेक्षण
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र से स्‍थानांतरण : मुद्दे और नीति विकल्प
गुजरात के लिए ग्रामीण से शहरी अस्थायी प्रवासन का प्रवासन और विकास अध्ययन
चेन्नई में प्रवासी कामगारों का जीवन और समय

अनुसंधान की मुख्य विशेषताएं :

फ़ैज़ाबाद ग्राम (मेदक जिला) के बेसलाइन सर्वेक्षण की संक्षिप्त रूपरेखा
भारत में महिलाओं के कार्य के बदलते परिप्रेक्ष्‍य: आंध्र प्रदेश का मामला
ग्रामीण श्रम बाजार में बदलती ठेके व्यवस्था: आंध्र प्रदेश का एक मामला अध्‍ययन
ग्रामीण श्रम बाजार में बदलती ठेकेदारी व्यवस्था: हरियाणा का एक मामला अध्‍ययन
ग्रामीण श्रम बाजार में बदलती ठेकेदारी व्यवस्था: ओडिशा का एक मामला अध्‍ययन
ग्रामीण भारत में महिला श्रम के बदलते परिप्रेक्ष्‍य और महिला श्रम बल भागीदारी दर: अरुणाचल प्रदेश का एक मामला
ग्रामीण भारत में महिला श्रम के बदलते परिप्रेक्ष्‍य और महिला श्रम बल भागीदारी दर: ओडिशा का एक मामला
जनजातीय क्षेत्रों में बाजार का अंतर संबंध और जनजातीय आबादी की आजीविका पर उनके निहितार्थ: छत्तीसगढ़ का एक मामला
जनजातीय क्षेत्रों में अंतर-लिंक्ड बाजार और उनकी आजीविका पर इसका प्रभाव: झारखंड का एक मामला

संकाय

डॉ. एस. ज्‍योतिस

प्रोफेसर एवं अध्यक्ष

शैक्षणिक योग्यता : पीएचडी (अर्थशास्‍त्र) सामाजिक एवं आर्थिक परिवर्तन संस्‍थान, बेंगलूरू, एम.फिल (अर्थशास्‍त्र) केरल विश्‍वविद्यालय, तिरूवनंतपुरम
विशेषज्ञ क्षेत्र : मजदूरी रोजगार एवं पाकृतिक पूंजी (जैव विविधता, मात्स्यिकी, वानिकी)
ईमेल : jyothis.nird[at]gov.in
फोन : 040-24008463
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